The world we have created is a product of our thinking; it cannot be changed without changing our thinking. -Albert Einstein

Sunday 15 April 2018

चाँद पे ले चलो यार मेरे 
नदियों का झिलमिल पानी 
ये सुनहरे बादलों की सेज पे सवार 
ले चलो कहीं दूर यार मेरे। 

भीगे पत्तों से टपकता बारिश का पानी 
मिट्टी की सौंधी खुशबू महकाती हर सांस को 
सूरज ढलने को है राज़ी 
चाँद पे ले चलो यार मेरे। 

तारों से करेंगे पहेलियाँ 
सपनों से करेंगे यारी 
धीरे से रात कट जाएगी यह 
पलकें होंगी भारी भारी 
चाँद पे ले चलो यार मेरे। 

खेलेंगे ख़यालो से लुका छुपी 
फुरसत की गठरी रख कर सर पे 
कर लो तैयारी यार मेरे 
चाँद पे ले चलो यार मेरे। 

Note: These lines are inspired by the song "Indian Summer" by Jai Wolf.

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