The world we have created is a product of our thinking; it cannot be changed without changing our thinking. -Albert Einstein

Friday 5 September 2014

Mumbai...!!

The city of dabawallas. The city of Bollywood dreams. The city of Vada Pav. The city of chaos. The city that never sleeps. The city that rises after every fall. The city that becomes you.
But then again, Mumbai isn't a city.
Mumbai is an enigma.
The Maximum City has everything to offer, and then some more. Truly, zara hatke, zara bach ke, yeh hai Mumbai, meri jaan.
Beautiful poetry by the national award winning poet of Udaan, Satyanshu Singh

सेहर शहर पर फिर आई
शबियो मिन्टो में बीत गई
कोशिश बड़ी नींद ने की
पर पलकें उससे जीत गयीं। 

पल भर भी सोया ना था ,
पर देखो कैसे जगा शहर 
सड़को ,गलियो ,गलियारों में ,
दिन बुनने फिर लगा शहर। 

कभी ना रुकने वाली धड़कन का ,
फैला फिर शोर यहाँ 
ताल थिरकते कदमो का 
फिर से गूंजा हर ओर यहाँ। 

देखो कितने ख्वाब यहाँ ,
खुद से हर शख्स लपेटे है 
देखो शहर गोद में अपनी 
कितने शहर समेटे है। 

है तासीर समंदर की ही तो 
इस शहर ने अपनायी 
तभी तो हदो में जीने की 
फितरत है इसने पायी। 

सुबह शाम लेहरो की तरह ,
कोने लोग बदलते हैं 
जो आये घुल जाये इसमें ,
सभी इसी में ढलते हैं। 

लगन यहाँ पर सस्ती है ,
उम्मीद मुफ्त में बटती है। 
और हौसले की धुन ,
नहीं कभी होंठो से हटती है। 

अपने अरमानो को यूँ ,
खुद में हर शख्स लपेटे है 
देखो शहर गोद में अपनी 
कितने शहर समेटे है।

दिन भर की आपा धापी ही 
वजह जश्न की होती है। 
रात आये त्यौहार लिए ,
जब सारी दुनिया सोती है। 

कैसे औरों को बतलाएं ,
शहर हमारा कैसा है ?
किन लफ्ज़ो में समझायेंं
यह ऐसा है ,यह वैसा है। 

आकर खुद देखो तो शायद 
थोड़ा इसको जान सको 
आकर इसके हो जाओ 
तभी शायद पहचान सको। 

ज़िंदादिली यहाँ कैसे 
खुद'से हर शख्स लपेटे है 
देखो शहर गोद में अपनी 
कितने शहर समेटे है।

Ps-You can also watch the video of the same by going on the link given below.It is beautifully filmed.
https://www.youtube.com/watch?v=Q1EP1lFpmaw#action=share