The world we have created is a product of our thinking; it cannot be changed without changing our thinking. -Albert Einstein

Monday 27 November 2017

￰शबनम से नाज़ुक उसकी  हथेलियों की गर्माहट को महसूस  तो किया पर उसकी आँखों मैं वह इखलास  ना दिखा  जो  किसी ज़माने  मैं हुआ  करता  था .
वक़्त  ने  कुछ इस कदर  महरूम  किया
जब खाना बदोश  फिरते  थे  उसकी तलाश  में
उसने अपने ज़ेहन  से हमारे  मरासिम  को कुछ ऐसा  दरकिनार  किया ...
अब  पाके  भी उसको  खो  सा  चुका हूँ  मैं  .....

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