The world we have created is a product of our thinking; it cannot be changed without changing our thinking. -Albert Einstein

Saturday 25 July 2015

Barish...





है प्रेम भरी सौगात ये ,
यह है ईश्वर की अश्रु धारा 
ये बारिश की भीनी बूँदें 
ना भटके कोई प्यासा आवारा। 

बहुत हुआ अब छिपना छुपाना 
है प्रीत मिलन की सुहानी 
मत घबरा बस पहुंच जा 
जा लिख दे अपनी प्रेम कहानी। 

कब तक देखता रहेगा उसे बेसबर 
बारिश की रिमझिम में हो दो दिल तत्पर। 
वर्षा की आह में भीग रही है वो ,
प्यार के बीजो का आज रोपड़ हो। 

है प्रेम भरी सौगात ये ,
यह है ईश्वर की अश्रु धारा 
कह दे अपने हृदय की बात 
क्यों है तेरा दिल उस पे हारा। 


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