The world we have created is a product of our thinking; it cannot be changed without changing our thinking. -Albert Einstein

Saturday 30 August 2014

Nazariya....



चाहें कितने भी गम के बादल लहाएं ,
फिर भी मुस्कुराने के पैमाने कम ना हो पाएं।
कोई' गम में मुस्कुराता है
तो कोई ख़ुशी में रोता है।

है सुलभ सहज ये बात निराली ,
आदमी मर के भी जिन्दा रहता है
और जिन्दा रह कर भी मर जाता है।
एक स्वालंबी नारी को कभी मिसाल
तो कभी बदचलन समझा जाता है।

इस अजब-गज़ब सी दुनिया में ,
होते हैं नज़रिये भिन्न भिन्न
अँधा भी पलके झपकाता है
बधिर भी राग गा जाता है।

इचाशक्ति है संबलता का सारांश,
दृढ़ता है मजबूती का जोड़
चाहे कितने हो विघ्न कभी
नजरिया हर मुश्किल का तोड़।


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