The world we have created is a product of our thinking; it cannot be changed without changing our thinking. -Albert Einstein

Friday, 31 October 2014

Ek diya....


एक दीया उजाले का। 
एक दीया घने अँधेरे को मिटाने का। 
एक दीया भीनी गर्माहट का। 
एक दीया पूजा की थाल में सजाने का। 
एक दीया साथ निभाने का। 
एक दीये की जलावन काजल बनाने का। 
एक दीया वादे निभाने का। 
एक दीया प्रेम की सौगात का। 
एक दीया बिन बिजली रात का। 
एक दीया आस्था का। 
एक दीया विश्वास का। 
एक दीया दुआओं का। 
एक दीया पर्व बनाने का। 
एक दीया आभार का। 
एक दीया सम्मान का। 
एक दीया श्रद्धांजलि का। 
एक दीया सूर्य सा सृष्टि का। 
एक दीया अग्नि की शक्ति का। 
बस एक दीया जीवन के संचार का। 

Friday, 5 September 2014

Mumbai...!!

The city of dabawallas. The city of Bollywood dreams. The city of Vada Pav. The city of chaos. The city that never sleeps. The city that rises after every fall. The city that becomes you.
But then again, Mumbai isn't a city.
Mumbai is an enigma.
The Maximum City has everything to offer, and then some more. Truly, zara hatke, zara bach ke, yeh hai Mumbai, meri jaan.
Beautiful poetry by the national award winning poet of Udaan, Satyanshu Singh

सेहर शहर पर फिर आई
शबियो मिन्टो में बीत गई
कोशिश बड़ी नींद ने की
पर पलकें उससे जीत गयीं। 

पल भर भी सोया ना था ,
पर देखो कैसे जगा शहर 
सड़को ,गलियो ,गलियारों में ,
दिन बुनने फिर लगा शहर। 

कभी ना रुकने वाली धड़कन का ,
फैला फिर शोर यहाँ 
ताल थिरकते कदमो का 
फिर से गूंजा हर ओर यहाँ। 

देखो कितने ख्वाब यहाँ ,
खुद से हर शख्स लपेटे है 
देखो शहर गोद में अपनी 
कितने शहर समेटे है। 

है तासीर समंदर की ही तो 
इस शहर ने अपनायी 
तभी तो हदो में जीने की 
फितरत है इसने पायी। 

सुबह शाम लेहरो की तरह ,
कोने लोग बदलते हैं 
जो आये घुल जाये इसमें ,
सभी इसी में ढलते हैं। 

लगन यहाँ पर सस्ती है ,
उम्मीद मुफ्त में बटती है। 
और हौसले की धुन ,
नहीं कभी होंठो से हटती है। 

अपने अरमानो को यूँ ,
खुद में हर शख्स लपेटे है 
देखो शहर गोद में अपनी 
कितने शहर समेटे है।

दिन भर की आपा धापी ही 
वजह जश्न की होती है। 
रात आये त्यौहार लिए ,
जब सारी दुनिया सोती है। 

कैसे औरों को बतलाएं ,
शहर हमारा कैसा है ?
किन लफ्ज़ो में समझायेंं
यह ऐसा है ,यह वैसा है। 

आकर खुद देखो तो शायद 
थोड़ा इसको जान सको 
आकर इसके हो जाओ 
तभी शायद पहचान सको। 

ज़िंदादिली यहाँ कैसे 
खुद'से हर शख्स लपेटे है 
देखो शहर गोद में अपनी 
कितने शहर समेटे है।

Ps-You can also watch the video of the same by going on the link given below.It is beautifully filmed.
https://www.youtube.com/watch?v=Q1EP1lFpmaw#action=share



Saturday, 30 August 2014

Nazariya....



चाहें कितने भी गम के बादल लहाएं ,
फिर भी मुस्कुराने के पैमाने कम ना हो पाएं।
कोई' गम में मुस्कुराता है
तो कोई ख़ुशी में रोता है।

है सुलभ सहज ये बात निराली ,
आदमी मर के भी जिन्दा रहता है
और जिन्दा रह कर भी मर जाता है।
एक स्वालंबी नारी को कभी मिसाल
तो कभी बदचलन समझा जाता है।

इस अजब-गज़ब सी दुनिया में ,
होते हैं नज़रिये भिन्न भिन्न
अँधा भी पलके झपकाता है
बधिर भी राग गा जाता है।

इचाशक्ति है संबलता का सारांश,
दृढ़ता है मजबूती का जोड़
चाहे कितने हो विघ्न कभी
नजरिया हर मुश्किल का तोड़।


Saturday, 9 August 2014

Bay parwai...


है अजब कहानी  ,गज़ब इस दिल का फरमान ,
है दिल तुझ पर इस कदर मेहरबान।
तू जानता है पर कद्र नही
तेरे  झूठे वादों का कोई असर नही।

है डगमगा रहा मेरा विश्वास
सब्र का बाँध ले आखिरी सास
मैं न खोउंगी ज्यादा कुछ
बस थी तेरी रज़ामंदी की आस।

है कोई ना गिला ना शिकवा तुझसे ,
मिले हर ख़ुशी और दुआयें सबसे।
बस एक बार पलटकर देख लेते ,
मेरी आँखों  में बसे तेरे किस्से।

तू समझ न पाया मेरी कीमत
है कोई न गम ,तुझे मेरी बरकत।
है अजब कहानी ,गज़ब इस दिल का फरमान ,
फिर भी हमेशा रहेगा यह दिल तुझपर मेहरबान। 

Sunday, 15 June 2014

Taruvar ki chaya




तेरे मोहपाश में बंधी हूँ मैं ,
मन भटक रहा क्यों गली गली
इस द्वंद का हल न निकल पाया
तू है अनजान ,तू है अभिग्न
तू क्यों मुझसे है रुस्वाया ?

मेरे हृदय में छिपा बस रूप तेरा
इस दर्पण को तू न देख पाया
है आँखो में तस्वीर तेरी
विस्मित हूँ मै ,पर मैंने पाया

है यही वास्त्विक ,है यही सत्य
तू मुझमे है अंदर समाया
एक बार तो झांक मेरे मन में
तू है यहीं ,जैसे मेरा साया।

है प्रेम मेरा पवन पवित्र
तू क्यों ना यह समझ पाया ?
एक बार उठा दे नज़रो से पर्दा
तू मेरे  लिए तरुवर की छाया 

Sunday, 11 May 2014

Aarz kiya hai....

I tried learning a little bit of Urdu lately.I had an intense desire to learn this beautiful language and came up with a few couplets by myself.

चेहरे पर शराफत का नक़ाब रहने दे मुल्तज़ा ,
बेपर्दा हो गये तो बेआबरू हो जायेंगे।

भले ही मुलाकात मुख़्तसर सी हो ,आप से हामारी शनासाई मुददत से हो
मिलना मिलाना तो बस एक बहाना है ,आप से आखिर हमरी हमनवाई तो हो।

कभी वह पर्दादारी ,कभी वो दहन्दरी
है क्या शख्सियत आपकी ,हम पहचान न सके।

इन परिंदो की सरहदें क्या ,इनपर कोइ न पाबंदी है
है खुला ग़रदूँ इनका मैदान ,और न तलख रुसवाई है।

वो गरम मिजाज़ ,आलम -ए -वफा  कभी हो जाते हैं
पर हमारे इश्क़ की ठंडी तासीर ऐसी ,की  चाह कर भी खफा न हो पाते हैं।

Monday, 5 May 2014

yeh ishq nahi asaan...!!!


यह प्यार न था ,बस था एक भ्रम 
है इश्क़ में ना जाने कितने गम। 
तुम्हे खबर ना है क्या चीज़ है यह ,
यह इश्क़ लड़खडादे बढ़ते कदम। 

कभी किसी सयाने शायर ने 

बड़ी कुर्बत से था किया बायाँ ,
की यह इश्क़ नहीं आसान 

बस इतना समझ लीजिये ,एक आग का दरिया है और डूब के जाना है। 

शायर की बात बेशक सायानी ,पर था वह असल मैं ज्ञानी। 
यह इश्क़ है भाप ,नही यह गरम पानी,
जिसकी गर्मी से जल जाती है खाल ,
और छोड़ जाती है एक वीभत्स निशानी।