यह प्यार न था ,बस था एक भ्रम
है इश्क़ में ना जाने कितने गम।
तुम्हे खबर ना है क्या चीज़ है यह ,
यह इश्क़ लड़खडादे बढ़ते कदम।
कभी किसी सयाने शायर ने
बड़ी कुर्बत से था किया बायाँ ,
की यह इश्क़ नहीं आसान
बस इतना समझ लीजिये ,एक आग का दरिया है और डूब के जाना है।
शायर की बात बेशक सायानी ,पर था वह असल मैं ज्ञानी।
यह इश्क़ है भाप ,नही यह गरम पानी,
जिसकी गर्मी से जल जाती है खाल ,
और छोड़ जाती है एक वीभत्स निशानी।
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