मेरी आँखों में छाया है नींद का पेहरा
पलकें हैं भारी
मेरी आंखे थक चुकी हैं किसी के इंतज़ार में तकते -तकते
थक चुकी हैं आसू बहा के
थक चुकी हैं सपने देख के किसी के मिलन की
आज चाहती हैं मेरी आंखें कुछ पल चैन के
तन्हाई की परछाई से परे,कुछ पल तारुफ के ....
आँखों ने'ली अंगड़ाई
कहती हैं ,अब तू भी सो जा क्युकि यह रात का समां
हमेशा इतना हसीन न रहेगा
पलकें हैं भारी
मेरी आंखे थक चुकी हैं किसी के इंतज़ार में तकते -तकते
थक चुकी हैं आसू बहा के
थक चुकी हैं सपने देख के किसी के मिलन की
आज चाहती हैं मेरी आंखें कुछ पल चैन के
तन्हाई की परछाई से परे,कुछ पल तारुफ के ....
आँखों ने'ली अंगड़ाई
कहती हैं ,अब तू भी सो जा क्युकि यह रात का समां
हमेशा इतना हसीन न रहेगा
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