यह अमलतास के फूल, बिखरें हैं धरती की सेज पर
यह अमलतास के फूल, निखरें हैं सुरज कि लौ से
पतझड़ की सौगात हैं ,यह अमलतास के फूल
काली घटाओं में खिलते यह पीले पीले, अमलतास के फूल
बरसात की बूँदें समेटें, यह अमलतास के फूल
गीली मिट्टी की सोंधी सुगन्ध को और महकायें, यह अमलतास के फूल
तुम्हारा पेहला तौहफा ,उन वादीयों में बिखरे ,वो अमलतास के फूल
मेरी किताबूं में आज भी संभाल के रखा ,तुम्हारा दिया, वो अमलतास का फूल
उस औरत के बालों से झाकता सुन्दर, अमलतास का फूल
भवरें की प्यास बुझायें, यह अमलतास के फूल
जी चाहता है कि समेट लू अपने आँचल में आज सारे यह अमलतास के फूल .....
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