मैं कौन हूँ ?
मैं पहली बारीश की भीनी बूंदूँ का स्पर्श हूँ।
मैं नवविवाहिता की लाज हूँ।
मैं सुरीले सरगम का आगाज़ हूँ।
मैं कल हूँ ,मैं आज हूँ।
मैं शिशु सी निश्छल ,मैं शैतान हूँ।
मैं नवीन हूँ ,मैं प्राचीन हूँ।
मैं कभी दिलचस्प तो कभी उदासीन हूँ।
मैं अलग हूँ ,मैं समान हूँ।
मैं ख़ास हूँ ,मैं पास हूँ।
मैं ख़ुशी का आभास हूँ।
मैं गम में गहरी सास हूँ।
मैं व्योम सी असीम पर दूरियों से सिमटी।
मैं फूल सी निर्मल ,मैं काटो सी कठोर।
मैं वात्सल्य सी पवित्र ,मैं वासना सी उत्तेजित।
मैं शाँत हूँ ,मैं वाचाल हूँ।
मैं निर्भीक हूँ ,मैं भयभीत हूँ।
मैं मनमोहक हूँ ,मैं अहंकार हूँ।
मैं यह हूँ मैं वो हूँ।
मैं , मैं हूँ बस मैं और सिर्फ मैं।
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