The world we have created is a product of our thinking; it cannot be changed without changing our thinking. -Albert Einstein

Saturday, 18 January 2014

Yaad....



दिन से रात गुज़र जाती है
पर तेरी ना चाहते हुए भी याद मेरी नीरस से  जीवन को संगीन बना देती है।
वो तेरी बातों को याद करके मेरा हलके से मुस्कुराना
मेरी तन्हाई के परदो से जैसे रोशिनी का छुप कर आना।
वो तेरी आवाज़ का अंदाज़ और तेरा मुझे पुकारना
मेरी  अपनी तक़दीर से रुसवाई पर जैसे सवाल उठाना।
वो तेरी मुझे  हर  बात  में, हर  समस्या में धैर्य बांधना
मुझे मेरे अपनो की रुसवाई भुला देती है।
दिन से रात गुज़र जाती है
पार तेरी याद ना जाने क्यों ज़ेहन में आ जाती है,
मुझे कुछ कर जाने का साहस दिला जाती है
और मेरे नीरस सॆ जीवन को जैसे  दिशा मिल जाती है।